कुनबे के साथ छत्तीसगढ़ पहुंचा बीमार हाथी शावक ओडिशा लौटते दम तोड़ा

हफ्ते भर पहले छत्तीसगढ़ वन विभाग ने किया था ईलाज

मैनपुर। महीने भर पहले अपने कुनबे के साथ ओडिशा से आया हाथी शावक आखिरकार शनिवार को चल बसा। दरअसल बीमार शावक को इसका कुनबा छोड़कर चला गया था। जिसका वन विभाग ने पखवाड़े भर तक इलाज किया। अभी हफ्ते भर पहले यह कुनबा इस शावक के पास लौटा था और उसे लेकर चले गए थे। लेकिन यह बीमार शावक साथ नहीं दे सका और लौटते रास्ते में छत्तीसगढ़ में ही दम तोड़ दिया। पीएम के बाद उसे दफना दिया गया।

ज्ञात हो कि एक माह पूर्व 20-25 हाथियों का दल ओडिशा के पहाड़ी रास्ते से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बफर जोन एरिया कुल्हाड़ीघाट के आमामोरा ओंड, कुकराल गांव के समीप डेरा जमाए हुए थे। ये हाथी एक बीमार शावक को जंगल में छोडक़र वापस ओडिशा लौट गए थे। बीमार शावक का लगभग एक पखवाड़े तक वन विभाग द्वारा ग्राम ओंड में घेरा बनाकर इलाज किया। उसके इलाज के लिए सुरजपुर, अंबिकापुर से देखरेख के लिए महावत भी बुलाया गया था। लगभग एक सप्ताह पूर्व ओडिशा से लगभग 30-35 हाथियों का दो दल इस बिछड़े शावक को लेने ग्राम ओंड में आया और इसे अपने लेकर वापस जंगल की तरफ लौट गए थे। जानकारी के अनुसार बीमार शावक के मुंह में घाव बढ़ गया था और संभवतः संक्रमण बढ़ने के कारण शावक की मौत हुई। पहाड़ी पर तैनात वन अमले ने इसकी जानकारी स्थानीय वन अफसरों को दी। वन अफसर दलबल के साथ मैनपुर से ओंड, आमामोरा पहाड़ी क्षेत्र पहुंचे।

लगभग एक माह पहले हाथियों के दल ने कुल्हाड़ीघाट के आमामोरा ओंड, कुकराल गांव के समीप धान को काफी नुकसान पहुंचाया था। मुख्य वन सरंक्षक वन्य प्राणी एच.एल रात्रे ने बताया कि उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बफर जोन एरिया कुल्हाड़ीघाट आमामोरा जंगल में हाथी शावक की लाश मिली। शनिवार को हाथी के शावक के शव का पीएम किया गया। ये वही शावक है जिसे हाथियों का दल छोडक़र वापस चला गया था और बाद में फिर इसे अपने साथ ले गए थे। शावक के मुंह में घाव होने से संक्रमण फैल गया था, जिसका लगातार वन विभाग द्वारा डॉक्टरों के माध्यम से उपचार कराया जा रहा था।