राजनांदगांव:छह माह से कोर्ट में ताले, वकीलों ने मांगी सरकार से क्षतिपूर्ति
10 हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता की गुहार,एकमुश्त 50 हजार रुपए देने की मांग

प्रदीप मेश्राम, राजनांदगांव। कोरोना संक्रमण के चलते बंद पड़े न्यायालयों के वकीलों का सब्र अब टूटने लगा है। मार्च 2020 से न्यायालयों में लगे ताले के कारण वकीलों के सामने परिवार का भरण-पोषण करना एक बड़ी चुनौती बन गई है। बुधवार को राजनांदगांव जिला अधिवक्ता संघ ने कलेक्टर टीके वर्मा से मुलाकात कर अपनी मौजूदा माली हालत को लेकर आर्थिक सहायता देने की गुहार लगाई है।
संघ ने सहायता स्वरूप मार्च से आज पर्यंत प्रतिमाह 10 हजार रुपए के अनुसार प्रत्येक अधिवक्ता को एकमुश्त 50 हजार रुपए देने की मांग की। वहीं लॉकडाउन समाप्त होने तक प्रतिमाह 10 हजार रुपए दिए जाने की भी मांग रखी। ज्ञापन सौंपने के दौरान संघ सचिव केके सिंह, शरद खंडेलवाल, संजीव श्रीवास्तव समेत अन्य शामिल थे।
संघ ने ज्ञापन सौंपते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि मार्च 2020 से आज पर्यन्त न्यायालय के नियमित कार्य स्थगित हैं। जिसके चलते अधिवक्ताओं के कामकाज पर विपरीत असर पड़ा है। कोविड-19 के कारण बंद पड़े न्यायालीन कामकाज से होने वाली आय से अधिवक्ताओं को हाथ धोना पड़ा है। लिहाजा अधिवक्ताओं के पास जीवकोपार्जन की दूसरी व्यवस्था नहीं होने से आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। परिवार का भरण पोषण करना दूभर होता चला जा रहा है।
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मनोज चौधरी का कहना है कि मार्च 2020 से न्यायालयीन कार्य स्थगित हो गया है और विगत 6 माह से निरंतर स्थगन चल रहा है। मात्र जो अर्जेन्ट मेटर होते हैं उसके लिए दो घंटे खुलती है। उसमें ही काम चलता है। इसमें कुछ अधिवक्ताओं की उपस्थिति रहती है। बाकी सभी अपने-अपने घरों में हैं। इस वजह से सभी की आर्थिक स्थिति जो बहुत ज्यादा कमजोर हो गई है। आज लगातार छह माह से अधिवक्ता अपने घर में बैठा हुआ है। उसके पास जीवकोपार्जन का कोई साधन नहीं है।
हम छत्तीसगढ़ शासन से मांग करते हैं कि छह माह के अंतराल में जो लोग घर में बैठे हुए हैं उनको एकमुश्त 50 हजार रुपए वकीलों को और जब तक न्यायालय नहीं खुलता तब तक 10-10 हजार रुपए प्रतिमाह आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान किया जाए। इसी प्रकार जो वकील काम कर रहे हैं। दो घंटा कोर्ट खुल रहा है, राजस्व न्यायालय खुल रहा है वहां अधिवक्ता काम कर रहे हैं।
अगर इस दौरान किसी अधिवक्ता की कोरोना संक्रमण के कारण मौत होती है तो उसको कोरोना वारियर्स मानते हुए उसके परिवार को 50 लाख रुपए दिया जाए। अगर कोई दुर्घटना होती है तो उसके परिवार को दिया जाए। यह हमारी मांगे हैं प्रशासन से कि आर्थिक रूप से जो कमजोर स्थिति पैदा हुई अधिवक्ताओं के बीच उसको सुदृढ़ किया जाए।