रजिंदर खनूजा, पिथौरा| पिथौरा से कसडोल मार्ग पर 17 किलोमीटर दूर देवपुर वन परिक्षेत्र के ग्रामों में अब वन्य प्राणियों का मांस लगातार राजधानी सहित आसपास के शहरों में भेजे जाने की खबर है।
देवपुर वन परिक्षेत्र में करंट से शिकार के कई वारदात भी सामने आ चुके हैं |
जब इस सम्बंध में बलौदा बाजार के वन मण्डलाधिकारी सवाल किया गया तो जवाब मिला, आप कौन बेच रहा यह बताएँ, हम कार्यवाही करेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक खास कर वन्य प्राणी बहुल क्षेत्रों में पूर्णकालिक रेंजरों को हटाकर उनके स्थान पर डिप्टी रेंजरों को प्रभार देने से अब वन्य प्राणियों के शिकार कर मांस बिक्री एवम अवैध कटाई करने की बाढ़ सी आ गयी है।
अवैध कटाई के सर्वाधिक मामले देवपुर परिक्षेत्र में ही बताए जा रहे हैं।
इस परिक्षेत्र के ग्राम गिधपुरी पकरीद एवम आसपास के अन्य ग्रामों में बकायदा चीतल,सम्हर एवम जंगली सुअर का शिकार व्यवसायिक तौर पर किया जाता है। जिसकी जानकारी रायपुर ,महासमुन्द एवम बलौदा बाजार जिले के मांस खाने के शौकीनों को है जो यहां से अपनी मर्जी के अनुसार मंगवा भी लेते हैं।
होली में 300 रुपये किलो बिका चीतल मांस
ग्रामीण सूत्र बताते है कि उक्त ग्राम के अधिकांश ग्रामीण वन्य प्राणियों का शिकार मांस विक्रय हेतु ही करते हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि ग्रामीण बार नयापारा के रामपुर के आसपास से ही शिकार करते हैं। इस क्षेत्र में वन कर्मी भी गश्त करने से डरते है। लिहाजा यह पूरा क्षेत्र शिकारियों के अधीन है।
सूत्रों के अनुसार देवपुर के जंगल मे ज्यादातर शिकारी बिजली तार के बनाये फंदे से ही वन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। जिसे आसपास के मांस सप्लाई करने वाले ग्रामीण 2 से 3 हजार में खरीद कर ले जाते है। इसके बाद वे मांस किलो की दर से बेचते हैं।
ग्रामीण बताते हैं होली के दिन उक्त ग्रामों में सुबह मांस खरीदने वालों की खासी संख्या थी। इस दिन मांस 300 रुपये प्रति किलो बेचे जाने की खबर है।
आप बताओ हम कार्यवाही करेंगे-डीएफओ
जब मामले की जानकारी बलौदाबाज़ार के डीएफओ बढ़ाई को दी गई| उन्होंने शिकार से इनकार करते हुए कहा कि आप पकड़वा दो हम कार्यवाही करेंगे।
जब उनसे यह पूछा गया कि जब इन परिक्षेत्रों में रेंजर पदस्थ थे तब शिकार एवम अन्य वन अपराधियों पर लगातार कार्यवाही की जा रही थी। अब डिप्टी रेंजरों के पदस्थ होते ही अचानक शिकार एवम वन अपराध बन्द हो गए या उन्हें पकड़ा नहीं जा रहा। इस पर श्री बढ़ाई ने कहा कि हो सकता है कि अब शिकार ना होते हों।
कहीं जांच नहीं
इस प्रतिनिधि ने बड़े शहरों तक मांस ले जाने के रास्ते ग्राम गिधपुरी एवम पकरीद से कसडोल की ओर गए। कसडोल के पहले असनीद वन जांच चौकी दिखाई दी।इस जगह हमने अपनी वाहन रोक कर चाय भी पी परन्तु जांच चौकी में किसी भी वन कर्मी पूछताछ नहीं की ।
बहरहाल, वन अधिकारी के बयान के बाद सवाल यह है कि क्या शिकायतकर्ता को खुद ही अवैध कार्यो में लिप्त आरोपियों को पकड़ कर वन अमले को सौंपना होगा तभी विभाग कोई कार्यवाही करेगा।
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