रजिंदर खनूजा,पिथौरा| महासमुंद जिले के पिथौरा से सटे बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र की वन समितियों द्वारा संचालित पर्यटन ग्राम में संचालित रेस्टोरेंट पर एक बार फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस बार स्थानीय समितियों को दरकिनार करते हुए उच्च स्तर पर पर्यटक ग्राम में संचालित रेस्टोरेंट का टेंडर आयोजित किया है| ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी बाहरी ठेकेदारों को उक्त रेस्टोरेंट देने का प्रयास किया जा चुका है।परन्तु रेस्टोरेंट की आड़ में असामाजिक तत्वों के अभ्यारण्य में प्रवेश की सम्भावनाओ को देखते हुए नियमानुसार स्थानीय बार वन समिति को ही रेस्टोरेंट संचालन की जिम्मेदारी दी गयी थी।
इस सम्बंध में ग्रामीणों का मानना है कि क्षेत्र के एक जन प्रतिनिधि अपने करीबी को रेस्टोरेंट दिलाने के प्रयास में टेंडर आयोजित करवा रहे हैं।जिससे स्थानीय लोगों का रोजगार छीन जाएगा और वर्तमान कोरोना काल में स्थानीय लोगों को पुनः पलायन करना पड़ेगा।
अब तक सब स्थानीय- वन समिति के अध्यक्ष
इधर बार वन समिति के अध्यक्ष सियाराम कैवर्त्य ने इस प्रतिनिधि को बताया कि शासन की स्थानीय कार्यो में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मंशा पर स्वयम सत्ता पक्ष ही रोड़े लगा रहा है। यहां स्थानीय लोग ही रेस्टोरेंट चला रहे है। इसमें रसोइए,वेटर रिसेप्शनिस्ट से लेकर सभी कर्मचारी स्थानीय है।जिन्हें रेस्टोरेंट में आय के अनुसार हिस्सा दिया जाता है।जिससे क्षेत्र के सैकड़ा भर परिवारों की आजीविका चल रही है। यह बात पता रहते हुए भी इसे अपने करीबी उद्योगपतियों को लाभ पहूंचाने की नीयत से ही उच्च जनप्रतिनिधियों द्वारा इसे स्थानीय समिति से छीनना चाहते है।जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में अस्त-व्यस्त व्यवस्था को पटरी पर लाने शासन प्रशासन भरसक प्रयास कर रहा है। वह क्षेत्र के मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए इस वर्ष वन क्षेत्र के तालाबों में मछली पालन हेतु इसे वन समितियों को दिया गया है। वही दूसरी ओर शासन के ही प्रतिनिधि वन समितियों के रोजगार छिनने का प्रयास क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुका है।
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