आंध्र प्रदेश वेरिएंट से आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर,वैज्ञानिकों ने किया सचेत

रायपुर | भारत में पिछले साल से ही कोरोना का दंश सभी को झेलना पड़ रहा है। कोरोना के प्रथम लहर के बाद अब दूसरे लहर ने सबको भयभीत कर दिया है। अब कहा जा रहा है कि आने वाले समय में भारत को कोरोना के तीसरे लहर से भी सामना करना पड़ सकता है। जहां सब पहले और दूसरे लहर कम होने की बात सोच ही रहे थे कि ठीक उससे पहले ही तीसरे लहर ने लगभग दस्तक दे दी है। 

दिसंबर-जनवरी के माह में भारत वासियों ने सोच लिया था कि शायद हम कोरोना की जंग जीत चुके हैं। लेकिन हुआ ऐसा नही बल्कि कुछ लापरवाही के कारण ही दूसरे लहर ने भी पूरे देश भर में तबाही मचा दी। अब तीसरे लहर से बचने के लिए सभी को सजगता अपनाना होगा। कोरोना की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करना अब और भी ज्यादा अनिवार्य हो चुका है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी चेतावनी 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने भारत में बढ़ते संक्रमण के ग्राफ को देखते हुए कोरोना के तीसरे लहर की बात कही है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि तीसरी लहर कब और कैसे आएगी इसका पूर्वानुमान लगाना अभी नामुमकिन है। इसलिए अभी से ही सजगता रखना सबसे ज्यादा जरूरी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन के अनुसार जिस तरह से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उससे साफ है कि इस की तीसरी लहर भी भारत में आएगी। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह लहर कब और कितने वक्त के लिए आएगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमें तीसरी लहर के लिए तैयार रहना होगा। पिछले संक्रमण और वैक्सीन के दबाव से वायरस नए-नए रूप में सामने आ रहा है। इसलिए हमें इसके खिलाफ वैज्ञानिक तरीके से पूरी तैयारी करनी पड़ेगी। तीसरे लहर में नया वेरिएंट इतना खतरनाक है की इसमें आम लोगों को एक मास्क के बदले 2 मास्क पहनना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि B117 और दूसरे वेरिएंट जैसे 617 लगातार अपना रूप बदल रहे हैं। इनके खिलाफ मौजूदा वैक्सीन पूरी तरह से कारगर हैं। लेकिन आगे के वेरियंट पर हमें लगातार नजर रखनी पड़ेगी और वैक्सीन में बदलाव भी करते रहना पड़ेगा। 

आंध्र प्रदेश वेरिएंट काफी खतरनाक 

तीसरी लहर आने का मुख्य कारण है कि भारत में कई तरह के वेरिएंट मौजूद है। और यह नया वेरिएंट अलग-अलग क्षेत्रों में संक्रमण भी फैला रहे हैं। इसमें माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा खतरनाक डबल म्यूटेंट वायरस है। जिसे वैज्ञानिकों ने B.1.617 का नाम दिया है और यह वेरिएंट भारत का ही उपज है। अब तक भारत में कोरोना का UK वेरिएंट, ब्राजील वेरिएंट, दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट और अमेरिका वेरिएंट मिल चुका था। यह सभी वेरिएंट चीन के वुहान से ही भारत पहुंचा था।

इसके भी कई और पहचान देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से हुई है। अब कोरोना वायरस ने अलग-अलग रूप ले लिया है और विभिन्न क्षेत्रों में यह फैला हुआ है। लेकिन इनमें से ही जो सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है, वह है “आंध्र प्रदेश वेरिएंट”। हालांकि यह वेरिएंट भारत के कुछ ही इलाकों में सिमटा हुआ है। लेकिन वैज्ञानिक इसे काफी खतरनाक मान रहे हैं। इस वेरिएंट से सभी को काफी सतर्क रहने की चेतावनी भी दी जा रही है। 

नए-नए स्ट्रेन को दे रहा है जन्म 

वैज्ञानिकों की माने तो आंध्र प्रदेश वेरिएंट कोरोना वायरस के नए-नए स्ट्रेन बनाता जा रहा है। जिससे अब यह कोरोना वायरस अलग-अलग रूप लेकर लोगों पर हमला कर सकता है। और इतने सारे वेरिएंट की वजह से ही भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की पूरी संभावना जताई जा रही है।

कोरोना वायरस की जब पहली लहर भारत में आई थी, तो वायरस 10 दिनों में मनुष्य के फेफड़ों को खत्म कर देता था। दूसरी लहर आई तो इसमें 5 से 7 दिन मे ही फेफड़े खराब होने लगे। अब माना जा रहा है कि देश में जब तीसरी लहर आएगी तो उसमें व्यक्ति का फेफड़ा महज 2 से 3 दिन में ही पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा और मरीज बहुत ही गंभीर हालत में पहुंच जाएगा। ऐसे में डॉक्टरों को मरीज का इलाज करने का भी समय भी नहीं मिल पाएगा।

ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना की एक के बाद एक लहर जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे संक्रमण की रफ्तार भी बढ़ रही है और फेफड़े बहुत ही कम समय में बर्बाद होते जा रहे हैं। जिससे मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। जैसा कि दूसरे लहर में भी कमोबेश यही देखा गया है।

ऐसे में जो नया वैरीएंट आंध्र प्रदेश वैरीएंट आ रहा है वह लगभग इसी तरह का ही है। इस नये वेरिएंट से  संक्रमित होने के बाद मरीज 2 से 3 दिन में ही आईसीयू में चला जाता है और चिकित्सकों को समझते-समझते ही उसकी मौत हो जाती है। आंध्र प्रदेश वेरिएंट दूसरे वेरिएंट से 15 गुना ज्यादा संक्रामक है।

सावधानी सबसे जरुरी 

इसने वैरीएंट के प्रकोप से बचने के लिए अब सभी को काफी सावधानी बरतनी होगी। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति के लिए मास्क काफी जरूरी ऐतिहात माना जा रहा है। पहले एक मास्क लगाने कहा जाता था, लेकिन अब चिकित्सकों की सलाह है कि एक के बजाय 2 मास्क पहना जाए। तभी इस वैरिएंट से हम दूर रह पाएंगे। यही नहीं अब नया स्टडी तो यह आया है कि अब घर में भी मास्क पहने रहना होगा,ताकि परिवार भी सुरक्षित रह सके।

बच्चे होंगे सबसे ज्यादा संक्रमित 

कोरोना वायरस के अध्ययन में पाया गया कि पहले लहर में कोरोना वायरस ने करीब-करीब बुजुर्गों पर ही अटैक किया था। जिसमें 50 साल से ऊपर के लोग ज्यादा प्रभावित हुए थे। वहीं दूसरी लहर में युवा ज्यादा संक्रमित हुए। अब जो तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है, वह बच्चों पर सबसे ज्यादा अटैक करेगी। पहले और दूसरे लहर में बुजुर्ग और युवा संक्रमित हो चुके हैं। अब बच्चों को बचाने के लिए तीसरी लहर में काफी सतर्कता बरतनी होगी। अध्ययन के मुताबिक देशभर में 30% 18 से कम उम्र के बच्चे हैं, जिन पर ही यह तीसरी लहर की अटैक हो सकती है। बच्चों को बचाने के लिए पालकों को काफी चौकस रहना होगा। बच्चों की खास निगरानी करनी होगी। यह बच्चे कोरोना गाइडलाइन को पूरी तरह से पालन करें तो इन्हें सुरक्षित रखने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि यदि संक्रमण की स्थिति ऐसे ही बनी रहे तो स्कूल या कॉलेज खुलने में अभी काफी समय लग सकता है।

वैक्सीनेशन ही बचाव

कोरोना से बचने के लिए अब वैक्सीन पर ही सबकी निगाहें टिकी हुई है। वैज्ञानिकों का साफ मानना है की वैक्सीन के दो डोज़ लगने के बाद ही व्यक्ति सुरक्षित हो सकता है। यानी उसे यदि डोज लगने के बाद कोरोना का अटैक होता है फिर भी वह मौत के मुंह तक नहीं जाएगा और वह इलाज के द्वारा ही सुरक्षित रह सकेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि अब भारत में 18 साल के नीचे बच्चों के लिए कोई वैक्सीन की सुविधा नहीं है और अब तक जो भारत में कोविशिल्ड और कोवैक्सिन के दो डोज़ महज 2 प्रतिशत लोगों को ही लग पाई है। जबकि शोध रिपोर्ट कहता है कि देश के 85 प्रतिशत लोगों का जब तक टीकाकरण नही हो जाता, देश सुरक्षित नही हो सकता। इसलिए वर्तमान स्थिति में सभी लोगों को टीकाकरण का दोनों  डोज़ लेना अति आवश्यक है। भले ही थोड़ी देरी जरूर होगी लेकिन टीकाकरण में कोई भी व्यक्ति कोताही ना बरतें यह जरूर ध्यान रखा जाए। टीकाकरण की सभी भ्रांतियों को दरकिनार कर हर व्यक्ति वैक्सीनेशन कराने कि यदि ठान ले तो कोरोना संक्रमण से जंग जीता जा सकता है।

बच्चो के लिए भी वैक्सीन 

भारत में बन रही वैक्सीन सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा कोविशिल्ड वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा है। वहीं भारत बायोटेक कोवैक्सिन का निर्माण बड़े ही जोर शोर से कर रही है। ताकि सभी भारतीयों को समय पर टीकाकरण का दोनों डोज़ लगाया जा सके। वही यह दोनों कंपनियां भारतीय बच्चों के लिए भी वैक्सीन बनाने का काम शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि अक्टूबर माह तक यह वैक्सीन का निर्माण हो जाएगा, जिससे 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीका लगाया जा सकता है। हालांकि थोड़ा समय जरूर लग रहा है लेकिन सभी को सावधानी रखनी होगी और वैक्सीन पर भी पूरा भरोसा रखना होगा।

हारना नहीं लड़ते रहना है 

बीते 1 साल से कोरोना से लड़ाई लड़ते-लड़ते लोग अब थकान महसूस करने लगे हैं। इसमे लगातार संघर्ष जारी है, जिसके कारण शारीरिक और मानसिक थकान महसूस होना लाजमी है। कोरोना की लहर से लोगों में अब काफी डर भी है। ऐसे में जब लोग घर से निकलते हैं तो उस समय उनके जेहन में यह रहता है कि क्या मालूम कि जब शाम को घर लौट आएंगे तो कोरोना से सुरक्षित होंगे या नहीं, यह स्थिति लगभग सभी में है। लेकिन अपने मन से भय की स्थिति को दूर रखते हुए केवल सुरक्षा को यदि अपनाया जाए तो शायद हम कोरोना से हमेशा दूर रह सकते हैं। इसके लिए हमेशा मास्क लगाकर ही बाहर जाएं, भीड़भाड़ वाले इलाकों में 2 गज की दूरी बनाएं , बार-बार हाथ धोते रहें और सैनिटाइजर का उपयोग करते रहें। इन गाइडलाइंस का यदि हम पालन लगातार करते रहे तो कोरोना के हर लहर को मात देते हुए हम आगे बढ़ते रहेंगे।

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प्रकाशित
Swaroop Bhattacharya

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